Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2024 · 1 min read

गजल ए महक

हम इश्क के नशे में इस कदर महक रहे हैं,
दो पंछी एक डाल पर जैसे चहक रहे हैं।
तेरे आने की खबर से दिल का आलम महका ,
तेरे साथ की हर रात में सितारे भी झलक रहे हैं ।
ग़ज़ल की महफ़िल सजाई है हमने भी आज ,
शमा की रोशनी में जैसे जुगनू , दमक रहे हैं।
शहर-ए-इश्क में हर गली मशगूल बेबजह ,
कुछ उम्रदराज भी इसमें ठरक रहे हैं ।
जाम-ए-शबाब से आँखों में नशा उतर आया ,
तेरे दीदार की ख़्वाहिश में , बस बहक रहे हैं।
असीमित, बिन बरसे ही लौट गयी बदरिया ,
सूखे सावन में पपीहा भी दहक रहे हैं ।

स्वरचित-डॉ मुकेश ‘असीमित’

104 Views

You may also like these posts

चार दिन की जिंदगी किस किस से कतरा के चलूं ?
चार दिन की जिंदगी किस किस से कतरा के चलूं ?
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
यदि आपका आज
यदि आपका आज
Sonam Puneet Dubey
समझों! , समय बदल रहा है;
समझों! , समय बदल रहा है;
अमित कुमार
जिंदगी सितार हो गयी
जिंदगी सितार हो गयी
Mamta Rani
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
ruby kumari
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
Rituraj shivem verma
सतगुरु सत्संग
सतगुरु सत्संग
Dr. P.C. Bisen
#मुझे ले चलो
#मुझे ले चलो
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
उसे किसका ख्वाब दिखाऊं
उसे किसका ख्वाब दिखाऊं
Harshit Nailwal
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मिल जाये
मिल जाये
Dr fauzia Naseem shad
भाई की गरिमा न गिराइए
भाई की गरिमा न गिराइए
Sudhir srivastava
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#अमृत_पर्व
#अमृत_पर्व
*प्रणय*
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
हमने हर रिश्ते को अपना माना
हमने हर रिश्ते को अपना माना
Ayushi Verma
दोहा पंचक. . . . जीवन
दोहा पंचक. . . . जीवन
Sushil Sarna
समुंद्र की खिड़कियां
समुंद्र की खिड़कियां
ओनिका सेतिया 'अनु '
उठो नारियो जागो तुम...
उठो नारियो जागो तुम...
Sunil Suman
गौरैया
गौरैया
अनिल मिश्र
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
भगत सिंह से मर्द
भगत सिंह से मर्द
RAMESH SHARMA
ख़ालीपन
ख़ालीपन
MEENU SHARMA
अंजान बनकर चल दिए
अंजान बनकर चल दिए
VINOD CHAUHAN
4490.*पूर्णिका*
4490.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
"दोस्ती-दुश्मनी"
Dr. Kishan tandon kranti
सेज सजायी मीत की,
सेज सजायी मीत की,
sushil sarna
Loading...