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20 Jun 2024 · 1 min read

गजल ए महक

हम इश्क के नशे में इस कदर महक रहे हैं,
दो पंछी एक डाल पर जैसे चहक रहे हैं।
तेरे आने की खबर से दिल का आलम महका ,
तेरे साथ की हर रात में सितारे भी झलक रहे हैं ।
ग़ज़ल की महफ़िल सजाई है हमने भी आज ,
शमा की रोशनी में जैसे जुगनू , दमक रहे हैं।
शहर-ए-इश्क में हर गली मशगूल बेबजह ,
कुछ उम्रदराज भी इसमें ठरक रहे हैं ।
जाम-ए-शबाब से आँखों में नशा उतर आया ,
तेरे दीदार की ख़्वाहिश में , बस बहक रहे हैं।
असीमित, बिन बरसे ही लौट गयी बदरिया ,
सूखे सावन में पपीहा भी दहक रहे हैं ।

स्वरचित-डॉ मुकेश ‘असीमित’

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