गजल- हमें भूल जाओ
छुपाकर युँ चेहरा नज़र न मिलाओ।
बुरा है ये मौसम हमें भूल जाओ।।
अभी तो शहर आग से जल रहा है।
अभी आतिशी यूँ सितम न ढहाओ।।
कि हम-तुम सभी आज पर्दानशीं हैं।
अभी रोशनी की शमा न जलाओ।।
अभी मौत से जिंदगी की ठनी है।
अभी भूलकर पास में तुम न आओ।।
बहरहाल तो दूरियाँ बढ़ रही हैं।
ग़ुज़रगाह गुल के अभी न बनाओ।।
अगर तुम किसी का भला चाहते हो।
किसी को ख़ुदा के कहर से बचाओ।।
अभी तो नज़रबंद हैं हम ‘सहज’ ही।
अभी पाक दिल पे न खंजर न चलाओ।।
– जगदीश शर्मा