Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2020 · 1 min read

गजल:कुमार किशन कीर्ति,लेखक

वर्षों बाद उसकी याद आई
मेरी अधूरी इश्क मुझे किस मोड़ पर लाई

जिसे दिल से भुला दिया था
ना जाने क्यों लब पर उसका नाम आई

जिससे इश्क हुआ उससे बयां नहीं किया
मैंने भी इश्क की राह में खुद को गुमनाम किया

मत कर इश्क किशन इस मुक्कमल जहां से
यहाँ जख्म कांटों से नहीं, मिलते हैं खूबसूरत कलियों से

मेरे मुकद्दर में उसका प्यार नहीं है
लगता है मेरी मुकद्दर मुझसे रूठ गई है
:कुमार किशन कीर्ति, बिहार

1 Like · 1 Comment · 534 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
तुम्हारी बातों में ही
तुम्हारी बातों में ही
हिमांशु Kulshrestha
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
Naushaba Suriya
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिवाली
दिवाली
नूरफातिमा खातून नूरी
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*प्रणय प्रभात*
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बलात-कार!
बलात-कार!
अमित कुमार
भव- बन्धन
भव- बन्धन
Dr. Upasana Pandey
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
कतौता
कतौता
डॉ० रोहित कौशिक
अधिकांश होते हैं गुमराह
अधिकांश होते हैं गुमराह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चमकते तारों में हमने आपको,
चमकते तारों में हमने आपको,
Ashu Sharma
***होली के व्यंजन***
***होली के व्यंजन***
Kavita Chouhan
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रक्त को उबाल दो
रक्त को उबाल दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
Seema gupta,Alwar
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वक्त कितना भी बुरा हो,
वक्त कितना भी बुरा हो,
Dr. Man Mohan Krishna
एक टऽ खरहा एक टऽ मूस
एक टऽ खरहा एक टऽ मूस
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
"" *भारत माता* ""
सुनीलानंद महंत
अलविदा
अलविदा
Dr fauzia Naseem shad
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
साक्षात्कार स्वयं का
साक्षात्कार स्वयं का
Pratibha Pandey
तुम हारिये ना हिम्मत
तुम हारिये ना हिम्मत
gurudeenverma198
*जाओ ले संदेश शुभ ,प्रियतम पास कपोत (कुंडलिया)*
*जाओ ले संदेश शुभ ,प्रियतम पास कपोत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मन की पीड़ा क
मन की पीड़ा क
Neeraj Agarwal
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
Dr MusafiR BaithA
Loading...