गजल:कुमार किशन कीर्ति,लेखक
वर्षों बाद उसकी याद आई
मेरी अधूरी इश्क मुझे किस मोड़ पर लाई
जिसे दिल से भुला दिया था
ना जाने क्यों लब पर उसका नाम आई
जिससे इश्क हुआ उससे बयां नहीं किया
मैंने भी इश्क की राह में खुद को गुमनाम किया
मत कर इश्क किशन इस मुक्कमल जहां से
यहाँ जख्म कांटों से नहीं, मिलते हैं खूबसूरत कलियों से
मेरे मुकद्दर में उसका प्यार नहीं है
लगता है मेरी मुकद्दर मुझसे रूठ गई है
:कुमार किशन कीर्ति, बिहार