गजरा
**** गजरा (चौपाई)*****
*********************
केश में गूँथ गजरा आई,
थोड़ा सा गोरी शरमाई।
नैनो से था किया इशारा,
मर गया नादान कुंवारा।
दीवाने ने सुध – बुध खोई,
विरह में बड़ी दीवानी रोई।
दोनों में हुआ प्यार का वादा,
जीना मरना नेक इरादा।
किशना से बोली थी राधा,
तुम बिन मेरा जीवन आधा।
आगे बढ़कर हाथ मिलाओ,
अपने गले मुझको लगाओ।
भूली बिसरी प्यार कहानी,
मिली उन्हें थी प्रेम निशानी।
नाम रखा उसका अफसाना,
जीने का मिल गया बहाना।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)