गजब है हिंद की भाषा ये’हिंदी खूब भाती है
जय मां शारदे!
“स्वाभिमान है हिन्दी”
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(14 सितम्बर २०२३)
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छंद-विधाता
मापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
#गजब है हिंद की भाषा,ये’ हिन्दी खूब भाती है #
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वतन की शान है हिन्दी, वतन का मान है हिन्दी।
धड़कती है दिलों में ये,धड़कता प्राण है हिन्दी।।
पड़ी जब भी जरूरत है,निभाया रोल है अपना।
किया आजाद हिंदुस्तां,किया पूरा सकल सपना।।(१)
पली बढती रही आगे, न मुड़कर देखती पीछे।
समायीं बोलियां अनगिन, सभी को प्यार से सींचे।।
खड़ी बोली कहीं दिखती, कहीं अंदाज है वृज का।
कहीं मीठी है’ मिसरी सी,अजब अहसास लखनऊ’ का।।(२)
सरल हैं बोल इसके सब,सहजता से समझ आती।
नहीं अपनी गहनता पर,कभी तिलभर भी’ इठलाती।।
कहे क्या ये ‘अटल’ तुमसे,सभी का मन लुभाती है।
गजब है हिंद की भाषा,ये’ हिन्दी खूब भाती है।।(३)
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अटल मुरादाबादी
९६५०२९११०८