Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2017 · 1 min read

गगन भवन में घन हैं छाए

गगन भवन में घन हैं छाए
शीतल पवन संग लहराए ।
तपती धरती के आँचल में
हरा भरा संदेशा लाए ।

तरुवर बाग बाग मुस्काए
खेत क्यारी धान लहराए
गौरैया भी बैठ नीड़ में
नन्हें खग पर ममत्व लुटाए

कोकिल मीठे गीत सुनाए
मोर रँगीले पँख फैलाए
दादुर बोले बीच सरोवर
मेघ बरसने को हैं आए ।

डॉ रीता

Language: Hindi
269 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
मेरी गुड़िया (संस्मरण)
मेरी गुड़िया (संस्मरण)
Kanchan Khanna
दोहा
दोहा
Ravi Prakash
प्यार या प्रतिशोध में
प्यार या प्रतिशोध में
Keshav kishor Kumar
#तेवरी / #अफ़सरी
#तेवरी / #अफ़सरी
*Author प्रणय प्रभात*
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
हिन्दी दोहा - दया
हिन्दी दोहा - दया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"प्यासा"प्यासा ही चला, मिटा न मन का प्यास ।
Vijay kumar Pandey
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
सच बोलने वाले के पास कोई मित्र नहीं होता।
सच बोलने वाले के पास कोई मित्र नहीं होता।
Dr MusafiR BaithA
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
Naushaba Suriya
ज्ञात हो
ज्ञात हो
Dr fauzia Naseem shad
नए सफर पर चलते है।
नए सफर पर चलते है।
Taj Mohammad
ये तो मुहब्बत में
ये तो मुहब्बत में
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
धिक्कार
धिक्कार
Shekhar Chandra Mitra
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
DrLakshman Jha Parimal
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Quote Of The Day
Quote Of The Day
Saransh Singh 'Priyam'
2996.*पूर्णिका*
2996.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
shabina. Naaz
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
शेखर सिंह
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"नया अवतार"
Dr. Kishan tandon kranti
बाजारवाद
बाजारवाद
Punam Pande
महंगाई के इस दौर में भी
महंगाई के इस दौर में भी
Kailash singh
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
हिंदी मेरी माँ
हिंदी मेरी माँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
पूर्वार्थ
अखंड भारतवर्ष
अखंड भारतवर्ष
Bodhisatva kastooriya
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
*नींद आँखों में  ख़ास आती नहीं*
*नींद आँखों में ख़ास आती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...