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27 Aug 2021 · 1 min read

गंतव्य

पथिक मत भूल,
पथ पर शूल,
चुनने होंगे हो कर मजबूर,
जागो वीर,
मत बनो अधीर,
बाधाएँ नहीं रोक सकती ,
जो माटी की खुशबू के वशीभूत।

सुन अंत:करण की आवाज़
गा रही वीरता के राग,
रणभूमि में अधूरे अभी कई काज,
भर कदमों की आहट में ठाट,
यही तुम्हारा गंतव्य ,
तू कर्मठ
ना भूल सत्य का पाठ,
यही तुम्हारा कर्तव्य।
अरुणा डोगरा शर्मा✍ ©

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 290 Views
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