Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2022 · 1 min read

गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)

गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)
___________________________
गंगा जी में गए नहाने
डुबकी एक लगाई,
ठेले पर बिक रही जलेबी
जीभ देख ललचाई।।

मम्मी बोलीं” धूल भरी यह “-
कहकर नहीं खिलाई ,
मजा आ गया लेकिन खिचड़ी
भंडारे में पाई ।।

मिला साथ में दूध ढेर था
जिसमें पड़ी मलाई।।
—- …——————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451

252 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

कल्पना
कल्पना
Ruchika Rai
..........अकेला ही.......
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
'आशिक़ी
'आशिक़ी
Shyam Sundar Subramanian
भारत चाँद पर छाया हैं…
भारत चाँद पर छाया हैं…
शांतिलाल सोनी
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
Atul "Krishn"
पटरी
पटरी
संजीवनी गुप्ता
एक बार मनुहार करना जरुर
एक बार मनुहार करना जरुर
Pratibha Pandey
Aaj Aankhe nam Hain,🥹
Aaj Aankhe nam Hain,🥹
SPK Sachin Lodhi
4604.*पूर्णिका*
4604.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो छोटी सी चोट पे पूरा घर सिर पे उठाने वाली लड़की...
वो छोटी सी चोट पे पूरा घर सिर पे उठाने वाली लड़की...
Kajal Singh
...
...
*प्रणय*
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
Phool gufran
- उलझने -
- उलझने -
bharat gehlot
शून्य का अन्त हीन सफ़र
शून्य का अन्त हीन सफ़र
Namita Gupta
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
क्या ऐसी स्त्री से…
क्या ऐसी स्त्री से…
Rekha Drolia
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
सत्य कुमार प्रेमी
मेघों की तुम मेघा रानी
मेघों की तुम मेघा रानी
gurudeenverma198
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
किसका  हम शुक्रिया करें,
किसका हम शुक्रिया करें,
sushil sarna
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
Shweta Soni
धर्म कर्म
धर्म कर्म
Jaikrishan Uniyal
दिल की धड़कन भी
दिल की धड़कन भी
Surinder blackpen
"जगदलपुर"
Dr. Kishan tandon kranti
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
Neelofar Khan
Loading...