गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)
गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)
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गंगा जी में गए नहाने
डुबकी एक लगाई,
ठेले पर बिक रही जलेबी
जीभ देख ललचाई।।
मम्मी बोलीं” धूल भरी यह “-
कहकर नहीं खिलाई ,
मजा आ गया लेकिन खिचड़ी
भंडारे में पाई ।।
मिला साथ में दूध ढेर था
जिसमें पड़ी मलाई।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451