गँउआ
ओ स्वर्ग सेँ होइ नीक मीता
जे तोहर गँउआ केर जिनगी
कतहु होई कोइली सन बोली
सदैव राधा रानी आशीष देली
सगर होई माए अचरि मीता
हरल भरल ओ सभ पात
कुसुम अरहुल कमलक गाछ
जे मीता सगर दुउरा पऽ साजै
एहि से सुन्नर नै पावन धाम
बड लालसा रहै ओतहि रहति
जतह सुरुज नित दैत नव प्रकाश
हे मातृभूमि हे जननी
माँ मिथिले तोहे शत् शत् प्रणाम