ख्वाहिश
ख्वाहिश थी हमें तुम्हें पाने की।
पर तुमने अपने साए तक को भी हमारी ख्वाहिश बना दिया।।
ख्वाबों की ख्वाहिशें जो कि हमनें।
वह ख्वाबों में ही ख्वाहिशें बन कर रह गयीं।।
मालूम था हमें ये ख्वाब हैं हमारे।
पर यह ना मालूम था कि ख्वाब भी गुनाह बन जाएंगे हमारे।।
काश, कि तुम ना आए होते जिंदगी में ख्वाब बनकर हमारे।
तो ये ख्वाब ख्वाइश बनकर ना रह जाते हमारे ।।
ख्वाइश अब है ये हमारी जब भी मिलने आओ तुम हमसे।
ख्वाब बनकर नहीं हकीकत बन कर आना मिलने तुम हमसे।।