ख्वाब
एक रात मुझे ख्वाब में चांद नज़र आया ।
फिर लोगों ने कहा चांद तेरे आंगन में उतर आया।
ये मंज़र देखने बालों की भी आंखें भर आयीं ।
हर किस्म का शक्श मेरे आंगन में नज़र आया ।
मैं उसको देखकर हैरान बहुत थी लेकिन।
क्या तमाशा मेरे आंगन में चांद का लगाया।
हमारा तो दामन आज तक खाली का खाली रहा ।
उस रात कितनों के हिस्से में चांदी और सोना पाया।
हम अपनी मुफलिसी से आज भी खुश हैं मगर ।
शिकवा मेरे लवों पर अब तलक ना आया ।
वो मंजर आंखों में रात भर यूंही घूमता रहा ।
जब आंख खुली तो मैंने आंगन को सूना पाया ।।
Phool gufran