ख्वाब हो गए हैं वो दिन
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
जब हम सब बेफिक्रहुआ करते थे
….
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
जब हम एक दूसरे के लिए
दर्द को बांट लिया करते थे
दिल की बात कह कर
दिल का बोझ
हलका कर लिया करते थे
ख्वाब हो गए वो दिन
जब किसी के पास
कुछ नहीं था….पर
अपनो को अपनो के
लिए वक्त था
उनका
ख्यालथा
अन पर ऐतबार था
उन से प्यार था
ख्वाब हो गए वो दिन
जब फेसबुक
WhatsAppइंस्टाग्राम नही था
मगर दिलो का दिलो से
एहसास का रिश्ता उन को….. जोड़े
रखता था..
ख्वाब हो गए वो दिन
जब हिचकी आने पर
सोचा जाता था केज़ुरूर किसी ने
शायद याद किया है
और सचमुच उसका नाम
लेने पर रुक जाती थी हिचकिया
ख्वाब हो गए वो दिन जब
बढ़ो की बात छोटे मान
लिया करते थे
जब छोटो के नखरो
और बढ़ो का बदप्पन
का एक तालमेल हुआ करता था..इन सब के
बीच जिंदगी कितनी आसान हुआ करती थी………..
सोशल मीडिया ऐसे
सब के दिमाग में
घुसा के कोई किसी का ना रहा…..
हर रिश्ता कांचकी तरह टूट गया…
और ये टूटे हुए टुकड़े कांच के
दिलो में चुभते है
लहू बन के टपकते है……
सब जीते हैं
सब मरते…… है
मगर तौबा नहीं करते है
लोगो की जिंदगी
लोगो ने ही ज़हर घोला है
चेहरे इं
सुनो जीना भी एक आर्ट है….shabinaZ