ख्वाब में
बेवजह ख्वाब में वो हमें यूं सताते रहे
अपनी आंखों का नूर हमें यूं दिखाते रहे।।
चांदनी रात आगोश में लिए बैठे रहे
जाम अधरों को लगा हमें यूं पिलाते रहे।।
चेहरा जुल्फों से ढक के आपने यूं पर्दा किया
अपनी चितवन से हमें रात भर यूं सताते रहे।।
हवाओं रुख़ बदल दो वक्त ठहर जा अभी
अश्क आंखों से बहे आप हाथ छुड़ा जाते रहे।।
आंख खोली जो मैंने प्यास दर्द दोनों थे
आप तो प्यार का अरमान यूं दिखाते रहे।।