Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2024 · 1 min read

ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं

ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
तमाशा जिंदगी का हर मोड़ पर करते क्यों हैं
जो है नहीं तकदीर में उसका शोक क्यों
बेवजह उलझनों को जीने का भ्रम पैदा करते क्यों हैं

109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
sushil sarna
बाण मां सूं अरदास
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
साक्षात्कार - पीयूष गोयल
Piyush Goel
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बदले में
बदले में
Dr fauzia Naseem shad
✍️ शेखर सिंह
✍️ शेखर सिंह
शेखर सिंह
आओ चलते हैं
आओ चलते हैं
Arghyadeep Chakraborty
◆कुटिल नीति◆
◆कुटिल नीति◆
*प्रणय*
लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मैं
मैं
Ajay Mishra
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
"मुरीद"
Dr. Kishan tandon kranti
खानाबदोश
खानाबदोश
Sanjay ' शून्य'
*जाने-अनजाने हुआ, जिसके प्रति अपराध (कुंडलिया)*
*जाने-अनजाने हुआ, जिसके प्रति अपराध (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
3711.💐 *पूर्णिका* 💐
3711.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के
gurudeenverma198
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
singh kunwar sarvendra vikram
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं पत्थर की मूरत में  भगवान देखता हूँ ।
मैं पत्थर की मूरत में भगवान देखता हूँ ।
Ashwini sharma
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
*ट्रक का ज्ञान*
*ट्रक का ज्ञान*
Dr. Priya Gupta
काल का पता नही कब आए,
काल का पता नही कब आए,
Umender kumar
एक लड़की एक लड़के से कहती है की अगर मेरी शादी हो जायेगी तो त
एक लड़की एक लड़के से कहती है की अगर मेरी शादी हो जायेगी तो त
Rituraj shivem verma
निर्मल निर्मला
निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...