ख्वाब को बाँध दो
बाँध दो ख्वाब और आकांक्षाओं को
समय सीमा के अंदर
ताकि वे ज्यादा उड़ न सके
बहलाकर हमें न ले जा सके आसमाँ पर
और न जमीं पर हमें गिरा सके।
~अनामिका
बाँध दो ख्वाब और आकांक्षाओं को
समय सीमा के अंदर
ताकि वे ज्यादा उड़ न सके
बहलाकर हमें न ले जा सके आसमाँ पर
और न जमीं पर हमें गिरा सके।
~अनामिका