ख्वाब आँखों में….
ख्वाब आँखों में पलने लगे आजकल
तुम हमें तंग करने लगे आजकल
आइना भी बता न सका राज ये
लोग क्यों हमसे जलने लगे आजकल
ज़ख्म दिल के जुबाँ पाने की चाह में
आँसुओं में बदलने लगे आजकल
इश्क़ में बेखुदी यार ऐसी मिली
नींद में हम भी चलने लगे आजकल
जादू जिन पत्थरों पर चला इश्क का
बर्फ बनकर पिघलने लगे आजकल
कल तलक फूल से उनको नफरत रही
बाग में पर टहलने लगे आजकल
ग़र मोहब्बत की बारिश न तुम पर हुई
फिर क्यों चोला बदलने लगे आजकल