ख्वाबों को पूरा करले ऐसा कर तू जग मंदिर में – – – रघु आर्यन
जिन ख्वाबों की पूजा होती,
है तेरे इस मन मंदिर में ।
उन ख्वाबों को पूरा करले,
ऐसा कर तू जग मंदिर में ॥
उठ हे ख्वाब वीर ,
बन अब कर्म वीर ।
है जो शर्म खीर ,
दे अब त्याग धीर ।
कर यत्नों से कुछ ऐसा तू ,
रम जाये ये तन मंदिर में ।
जिन ख्वाबों की पूजा होती
है तेरे इस मन मंदिर में ।
उन ख्वाबों को पूरा करले ,
ऐसा कर तू जग मंदिर में ॥
– – रघु आर्यन – –