ख्वाबों की दुनिया तो छोड़ दो
रात ले लो चाहे तो नींद भी ले लो
ख्वाबों की दुनिया तो छोड़ दो।
याद, यादों और किस्सों को ले लो,
पर हकीकत तो छोड़ दो।
मौज ले लो मौजूदगी भी ले लो,
एहसास और छाया तो छोड़ दो।
बेवजह झगड़ा करना तो छोड़ दो,
मनाने की आदत तो मत छोड़ दो।
चांद से चांदनी भी ले लो,
आशिया की भरी रात तो छोड़ दो।
फूल ले लो या बगीचा ही ले लो,
खुशबू को तो छोड़ दो।
जीवन मरण की कसमें को ले लो,
फिर से मिलने की आस तो ना छोड़ दो।।
गौतम साव