ख्वाइश
ख्वाईश
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इतनी भी प्यारी न लागो
तुमसे फिर इश्क हो जाए
किसी जमाने में इश्क किया
वो याद वापस न आ जाए।।1।।
कभी पड़ा था भंवर फूल के पीछे
उस डगर की याद न दिलाओ
आज भी जिंदा है अरमान
तुम वापिस तो आ जाओ।।2।।
तितलियों से करू मैं तुलना
या कहूं तुम्हे एक शगुफ्ता
करना मौसिकी जाना तुमसे
चुप रहना भी सीखा था तुमसे।।3।।
कहती तुम्हारी आंखें बहुत कुछ
वो लब्ज़ कभी जुबां पर न आए
आज तो कह दो हमसे सबकुछ
काश हम चांद तारे तोड़ लाए।।4।।
समय क्यों लगाया इतना बताने
तुम भी थी कभी दीवानी हमारी
मुश्किल था बहुत इस जनम में जानी
“मानस” कहे बनो मेरी “राधा” रानी।।5।।
मंदार गांगल “मानस”