ख्वाइशें
इसका उत्तर मेरे अंदाज़ मे
ख्वाहिशें अपनी सभी साथ पूरी कर ए दिल ,
क्या खबर तुझको कभी ऐसा मौका मिले न मिले।
अगला लम्हा कैसा गुज़रे कोई गुल खिले न खिले।
कब्र तो खोदी जा सकती है मगर दफनाने का मौका मिले न मिले।
दफनाने में भी रोढ़ा बन जाएंगी ये रस्में।
क्या खबर कब्र कि गंगा मिले।
बाद मरने के ये अपना जिस्म ही रह जायेगा।
रूह का तो ख्वाहिशों का ख़्वाब ही रह जायेगा।
कर गुज़र कुछ दिल तू ऐसा ख्वाहिशे ज़िंदा रहें ।
बाद रेखा मौत के भी ख्वाब हक़ीक़त मे ढ़लें।