ख्वाइशें
ख्वाइशों का खिला आसमान है,
दुआओं के उठे हजारों हाथ भी,
एक भी ख्वाईश पूरी होती नही फिर भी।
कमबख्त ये कैसी साजिश है ।
ख्वाब बनकर कोई आता है,
रूह में समा जाता है,
छूने की कोशिश करूँ तो,
पंछी बन दूर उड़ जाता है,
लगता है खुदा की जरूर,
कोई पुराणी रंजिश है।।
दिन में एक खालीपन है
घनी अँधेरी रातों में,
दिल चीरने वाला सूनापन है,
ख्वाहिशें ही शायद बेईमान हैं,
दुआओं के हाथ भी नकली हैं,
कुछ बचा नही अब जिंदगी में,
फिर भी एक अजीब तपिश है ।।
मेरी ख्वाहिशों का आसमान,
मुझ पर ही टूटने को है,
मेरी दुआओं में उठे हाथ ,
मेरा ही कत्ल करने को हैं,
इंतजार फिर भी तेरा,
एतबार फिर भी तेरा,
दिल की दिल के खिलाफ
कमबख्त ये कैसी साजिश है?
आरती लोहनी