ख्याव आकर वो मिलेगी
ख्याव आकर वो मिलेगी देखना
आयना बन कर दिखेगी देखना
ख्याल मेरे जब बसे हर रोज तू
जिन्दगी मेरी सजेगी देखना
बात मेरी गर न मानेगी कभी
तीर तलवारें चलेगी देखना
पास अपने जब बुलाऊँगा उसे
बार इक में ही सुनेगी देखना
रुठ जाए जान मेरी हो खफा
बीच तारों के ढूँढेगी देखना
रातरानी गर न मेरी हो सकी
बाहुँ से अपनी रिहाई देखना
दिल दिमागे आहटें तेरी रहे
रात को सपने सलोनी देखना