ख्याल
ख्याल आता है तो आना ही चाहिए
प्यासें को भी पानी पिलाना चाहिए
नारी होने का गर्व न कर,
है माटी का मंजर
क्या सोचती क्या समझी,
क्या रखी दिल अंदर
मैं पुरूष नही , हूं माटी का मुरत,
जाति एक सा लगते हैं
माटी माटी का हो मिलन
इसलिए नजर भी लगते है
चातक बनकर घुम रहा हूं
मैं अपने ख्वाबों पर
चकोरिन बनकर आ जाओ
कवि हृदय के बाहों पर