— ख्याल तेरा —
आज बहुत दिनों के बाद
फिर से
न जाने क्यूँ आ गया
ख्याल तेरा
वो बीते दिनों के किस्से
वो प्यार भरी बातें
न जाने क्यूँ
आँख में आंसू दिला गया
बैठा था में शांत चित
वो हवा का झोंका
छू कर मेरे जहन को
जैसे नींद से जगा गया
पता नहीं क्यूँ
फिर से तेरा ख्याल आ गया
गुजरा हुआ वकत
कहते हैं सताता बहुत है
अकेले में सोचने लगो
तो वो रूलाता बहुत है
क्यूँ नहीं जाती हैं
यादों की झालर इस दिल से
क्यूँ ख्याल नहीं जाता
इस दर्द भरे दिल से
तेरी बातों का
वो उफनता सा समंदर
मुझ को फिर से डूबा गया
न जाने क्यूँ फिर से
ख्याल तेरा आ गया
अजीत कुमार तलवार
मेरठ