ख्यालों के झुरमुट
ख्यालों के झुरमुट
वो ख्यालों के झुरमुट
वो कल्पना के साये
मेरे साथ घूमते हैं।
वो जो खो गया डगर पर
बेचैन ढूंढ़ते हैं।
वो मस्त बादलों से
मन का उजास ढक कर
आवारा घूमते हैं।
बेकार सा हूँ बैठा
दिवास्वपन में खोया
सायों के पाश में से
खुद को छुड़ा न पाया।
मै जो भी हूँ
मैं जो कुछ
कभी बन नहीं हूँ पाया
उन चाहतों के धुएं
मेरे दिल को बींधते हैं।
धरती गहन अंधेरा
नहीं होगा कोई सवेरा
जब तक कोई हवाएं
इन्हें दूर न ले जाएं।
इस दिल में जो चिताएं
हैं जल चुकी कभी की
उन ही की राख में से
इतिहास ढूंढते है ।
बीते हुए दिनों का
उच्छ्वास ढूँढते हैं।
वो ख्यालों के झुरमुट
वो कल्पना के साये
मेरे साथ घूमते हैं।
विपिन शर्मा