“खो गये हैं शब्द मेरे”
आजकल खो गये हैं शब्द मेरे ,
भींड से बचते ही रहते है ,
ज़्यादा खुले घूमने की ,
बुरी आदत जो नही .
सम्भाल कर रखा था,
मगर चुपके से एक दिन ,
आपसे मिलने चले गये,
हमें अकेला छोड कर ,
कभी बारिश में तो कभी ,
पतझर की खमोशी में
ढूँढा मैने बहुत ,मगर
पाया नहीं उसे ,
खो गये हैं शब्द मेरे |
…निधि…