खो गया बचपन किसी कोने में
खो गया बचपन किसी कोने में
खेलने के दिन नसीब नही झोली में
पढ़ाई के दिनों काम में लग गए
बचपन के दिन यूं ही गुज़र गये
नदां हम बचपन में ही तप गए
पेट की ख़ातिर बचपन में ही बिख़र गए
जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गए
मौज मस्ती के दिन यूं ही बिख़र गए
माँ के प्यार को हम तरस गए
बचपन में ही हम निखर गए
स्कूल जाने के दिनों में
हम काम में उतर गए
मित्र सारे जूते यार बन गए
बचपन के यार सारे बिख़र गए
अरमान सारे दिल में ही दब गए
दबे अरमा सारे यूं ही बिखर गए
भूपेंद्र रावत
21।08।2017