खोये खोये से रहते थे
खोये खोये से रहते थे
बड़े खोये खोये से रहते थे
तेरी ही जुस्तजू में नैना
हर वक़्त सोये सोये से रहते थे
जिस दिन तुझ से गुफ़्तगू ना हो
तो नैना रोये रोये से रहते थे
तेरे इश्क़ में इस क़दर थे पागल
नैना हर दिन नहाये धोये से रहते थे
जब जब तू गुज़री किसी औऱ गली से
उस दिन बेरुख़ी में नैना रोये रोये से रहते थे
रहते थे कुछ दिन गुमसुम गुमसुम
बेवजहा के काँटें बोये बोये से रहते थे
आ जाके इन्हें वो मौसम फ़िर लौटा दे
माही मेरे ये दो नैना ओये होये से रहते थे
~अजय “अग्यार