महसूस करें आप जिंदा हैं या मुर्दा.
मुर्दे आज भी जिंदा हैं ।
जिंदा लोग आज भी मुर्दा हैं ।।
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कूद पड़ा हूँ मैं भी आज उस समर में ।
जिसका सफ़र सहज नहीं पर अंंतहीन है ।।
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पहले तो ये समझ लेना जरूरी है ।
मुर्दा कौन है ?
वे सब निर्जीव जिनमें निज-कर्म क्षमता स्वायत्ता सत्ता-विहीन है जिन्हें हम जड़ कहते है ।
जैसे चेतना-विहीन मुर्दा होता है ।
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अब बात आती है ।
मुर्दे आज भी जिंदा हैं !
कैसे ?
एक कौम जो सदियों से मुर्दों पर खा रही हैं ।
वे आज भी उन्हें जिंदा रखे हैं ।।
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बात समझने जैसी है ।
जो रीति-रिवाज़ वा परंपरा मानवता को जगाने में असमर्थ हैं ।
जितने लोगों के जीवन को बचा नहीं पाती ।
उससे भी कहीं ज्यादा जीवों को मार देती है ।
या लोग धन-संपदा को धर्म के नाम पर नष्ट कर देते हैं
इसको आप लोग :–
“”मुर्दे आज भी जिंदा हैं ।””
नहीं कहोगे तो क्या कहोगे !!
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जिंदा लोग आज भी मुर्दा हैं ।
जिस सजीव के पास निज-कर्म सत्ता है ।
और वह अपने निज-कर्म स्वयं न करके…,
मुर्दे से बहुत अधिक उम्मीद से ज्यादा उम्मीद रखे ।।
तो कौन कहेगा कि वह ।।
आज अभी
“””जिंदा होते हुए भी मुर्दा नहीं है ।।””
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डॉ. महेंद्र