खोखली आज़ादी
यहां नए दौर का
आगाज़ क्यों नहीं होता
इंसानी चेतना का
परवाज़ क्यों नहीं होता…
(१)
कितने सुधारक
आकर चले गए लेकिन
टस से मस यह
समाज क्यों नहीं होता…
(२)
दक़ियानूसी सोच
एक सर्वनाशी रोग है
अच्छी तरह इसका
इलाज़ क्यों नहीं होता…
(३)
जिस गांव में रहते हैं
आदिवासी और दलित
सारे दावों के बावजूद
आबाद क्यों नहीं होता…
(४)
अंग्रेज़ों के गए तो
एक अरसा हो चुका
यह देश फिर भी
आज़ाद क्यों नहीं होता…
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Shekhar Chandra Mitra
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