खेल और बाजी
हम गुल्ली डंडा बढ़िया खेलते थे..नहींनहीं…बहुत बढ़िया
डेंगा पानी और झील कटोरा भी
कबड्डी में कभी नहीं जीत पाये
हाँ वो बैडमिंटन जिसमें सीमा रेखा की बंदिश न हो
विथ गुल्ली डंडा और ऐसा बैंडमिंटन…..शानदार
लिखते हुये फिल हो रहा है….. :)
स्वछंद
आत्मिक धुरी पर जबतक आप स्वछंद खेलते हैं
खेल होता है
और सीमा रेखा बाउंड्री तय होते ही वही खेल खेल से कहीं ज्यादा हो जाता है
……….बाजी…….
जहाँ कोई हारना नहीं चाहता
और आखिर जीत जाता है
अनुशासन की आँच पर खुद को तपाता जुनून
कुछ भी आसान नहीं होता।
राष्ट्रीय_खेल_दिवस ??
©दामिनी नारायण सिंह ?️
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