खेलो होली
भाई -चारे के रंग से खेलो होली
और नफरत की जलाओ होली
रग लो मन को प्रेम के रंगो से
दूर रखो सम्प्रदायों को दंगों से
लाल पीले नीले लगते है अच्छे
मन बीथियों ने प्रसून है खिलते
प्रेम सौहार्द का है यह त्यौहार
आओ मिलकर बाँटे हम प्यार
गले मिलो बैरियों से भी आज
बनेगा पथ मानवता का खास
खत्म होगें नफरत के सैलाब
आओ जलाए मुहब्बत के अलाव