ख़ूब समझते हैं ghazal by Vinit Singh Shayar
आपका वादा हम ख़ूब समझते हैं
रब का इरादा हम ख़ूब समझते हैं
छोड़ देगा साथ वो भी मंजिल से पहले
जिसको हम अपना महबूब समझते हैं
जवाब उनको अब तो हम देने से रहें
वो हैं कि हम को मजबूर समझते हैं
साक़ी ने आज पूछा है उनसे उनका नाम
वो जो ख़ुदको बड़ा मशहूर समझते हैं
रखती हूँ फोन मुझको मम्मी बुला रही है
बहाना आपका ये हम ख़ूब समझते हैं
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar