खूब इस दुनियां में हमने है तमाशा देखा।
खूब इस दुनियां में हमने है तमाशा देखा।
पेड़ जलते हुए नदियों को है प्यासा देखा।
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जान आती नहीं कितने भी शानदार बनें।
बुत बनाएं हैं पत्थरों को तराशा देखा।
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सवाल लेके गया हूं सवाल लेके फिरा।
ज़बाब मिलते नहीं खूब तलाशा देखा।
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लोग कहते हैं बहुत देखी है दुनियां हमने।
मुझको लगता है सभी ने है जरा सा देखा।
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लोग कहते हैं फलक सा मुकाम हासिल कर।
फलक भी धरती पर हमने है झुका सा देखा।
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करीब आने तक मुझको बहुत हसीन दिखा।
हकिकतें तब खुली जब उसका इरादा देखा।
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इसी से कम नहीं होती हैं “नजर” तकलीफें।
किसी ने कम किसी ने दुनियां को ज्यादा देखा।
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कुमारकलहंस।