खूबसूरत तस्वीर
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार का इजहार करूँ,
हर एक दिन तेरी खूबसूरत तस्वीर को दिल से लगाकर दीदार करूँ I
तेरे सुन्दर शहर में यह कैसा मच रहा हर तरफ शोर ,
चौतरफा धोखा–नफरत के व्यापार केवल बढ़ रहा जोर,
तेरा बेशकीमती इश्क है मेरी जिंदगी में बहुत अनमोल ,
तेरी मोहब्बत का दोनों ही “ जहाँ ” में नहीं कोई भी मोल I
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार का इजहार करूँ,
तेरे कदमों पर सिर रखकर अपने “ईद के चाँद” का इस्तकबाल करूँ I
तेरे प्यार के समंदर ने नादान ”राज” को दीवाना बना दिया,
तेरे इश्क की बेपनाह चाहत ने दुनिया से बेगाना बना दिया ,
प्यार का पैमाना पिलाकर इसे जीने का सलीका सिखा दिया ,
नस्ल के लंबरदारो से दूर जिंदगी जीने एक रास्ता बता दिया I
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार का इजहार करूँ,
गुनाहों की तौबा करके तेरी पाकीजा मोहब्बत का इंतजार करूँ I
तेरे चेहरे पर “जहाँ के मालिक” का बेइंतहा नूर देखा ,
तेरी पलकों तले इंसानियत का बेमिसाल सुरूर देखा ,
हर नेक इन्सान के दिल में तेरा रूप जरूर देखा ,
तेरे अन्दर इंसानियत का एक अलबेला स्वरुप देखा I
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार का इजहार करूँ,
क्या कमाया हमने अब तक, इस जीवन में उसका हिसाब करूँ ?
“राज” वो मुझसे उस खूबसूरत तस्वीर का नाम पूंछ रहे ,
गरीबों,मजलूमों,असहायों के रखवाले का नाम पूंछ रहे ,
“फूलों की बगियाँ” के मालिक से उसका नाम पूँछ रहे ,
“ जहाँ ” में खुशियाँ बाँटने वाले से उसका नाम पूंछ रहे I
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार का इजहार करूँ,
तेरे इंसाफ से ताउम्र डरूं, “जहाँ” में इंसानियत को दागदार न करूँ I
जब किसी गरीब, मजलूम की सिसकियाँ कहीं सुनाई पड़ती है,
तब उसकी अलौकिक सूरत हमें उस पल में दिखाई पड़ती है,
लाचार बहन, बेटी के क्रंदन पर उसकी झलक दिखाई पड़ती है,
प्यार से जिसने पुकारा उसे, उसकी नज़रे रुबरु दिखाई पड़ती है I
दिल की हसरत है कि तुझसे मिलकर अपने प्यार के “राज” का इजहार करूँ,
इंसानियत का मजहब घर-2 पहुंचाकर “जहाँ के मालिक” का सपना साकार करूँ I
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देशराज “राज”
कानपुर