खूबसूरती और बद्सुरती
क्यूं दिवाने होते हैं सब खूबसूरती के
क्यूं ज्यादा लगाव रख्ते हैं सब इस से
क्यूं प्रशंसा करते हैं लोग इस की
क्यूं इस मोह में फसते हैं इंसान यहाँ के !!
क्यूं इंसानियत आज भंग हुई इस से
क्यूं भाती है सुन्दरता सब को इस जग में
क्यूं फिर रोता है इस को खो कर
क्यूं नहीं समझता इस मोह के रंग को !!
क्यूं धिक्कार दिया जाता है बदसूरत को
क्यूं क्या कसूर है इस में उस जीव का
क्यूं नहीं मिलती पहचान उस को
क्यूं करते हैं लोग जग में अलग उस को !!
क्यूं बनाया विधाता ने बदरंग बदसूरत उस को
क्यूं फायदा उठा लेते हैं उस के तन का
क्यूं क्या यहाँ भी किस्मत दोषी उस की
क्यूं न समझ पाती दुनिया उस के गुण को !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ