खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
इंसाँ है मज़दूर भी थककर बैठ गया
गुस्से में वो नाक फुलाकर बैठ गया
मेरा उस के बाद मुक़द्दर बैठ गया
राज़ की बातें ग़ैरों के मुंह सुन कर
लम्हा भर को मैं चकराकर बैठ गया
जितने मुंह उससे भी ज़ियादा बातें थी
वो थोड़ा क्या मेरे बराबर बैठ गया
अपना बोझ भरम ऐसे रक्खा हमने
चुप होकर आँखों में सागर बैठ गया
रसमन हमने उसको इज़्ज़त बख्शी थी
और वह सीधा सर के ऊपर बैठ गया
मेरे दिल से तुमको कौन निकालेगा
अब दरया में जैसे पत्थर बैठ गया
आज मिरे घर क्या तुम आने वाले हो
सुब्ह सवेरे कागा छत पर बैठ गया
ऐसे मंज़िल पाने के हालात बने
बीच सफर में अरशद रहबर बैठ गया