खून के घूंट
कामयाबी अगर पा लिया कीजिए
फिर तकब्बुर न हरगिज़ किया कीजिए
क़त्ल रिश्तों का होने से बच जाएगा
खून के घूंट हँसकर पिया कीजिए
ऐब सब में नज़र फिर नहीं आएंगे
गुफ़्तगू आइने से किया कीजिए
अपनी खातिर सभी जी रहे हैं यहां
दूसरों के लिए भी जिया कीजिए
पीटना हो ढिंढोरा जहां में अगर
राज गूँगों से फिर कह दिया कीजिए
कोई हमदर्द अरशद नहीं है यहाँ
खुद ही दामन को अपने सिया कीजिए