खूनखराबा होने दो
कान बंद कर पाक सिंह ने खुलकर आज दहाड़ा है
जो भी पड़ा सामने उसको दंत नखों से फाड़ा है
दुनिया भर में गूँज रही जो दिल्ली की ललकार सुनो
खामोशी से बैठे थे जो अब उनकी हुंकार सुनो
जलने का मजा क्या होता है पूछो तो जरा परवानों से
आतुर हैं जो मर मिटने को भारत के वीर जवानों से
बात शहादत की जो चले तो तबियत खिलने लगती है
कदम ताल करते हैं तो ये धरती हिलने लगती है
आतंकवाद के गीदड़ का अब रोम-रोम है काँप रहा
लेकर के फीता सीना वो छप्पन इंची नाप रहा
अब दुस्साहस किया अगर तो अब न तुझे सुधारेंगे
काश्मीर में मारा फिर रावलपिण्डी में मारेंगे
लाहौर,कराची में आकर फिर खून की नदी बहायेंगे
इस्लामाबाद मौत का मंजर तुझको वहीं दिखायेंगे
बदनामी से क्या डरना अब शोरशराबा होने दो
ऐसे न बुझेगी आग चलो अब खूनखराबा होने दो