खुश होकर देखिए बोन्साई
बौना नहीं कहिए
अच्छा नाम है इसका बोन्साई कभी मुंबई में एक के घर देखा था गुलाब बोन्साई
और दीगर जगहों पर भी शाखहीन बोन्साई पौधे और पेड़
यह छोटा है तो क्या
एक बड़ा वजूद पेड़ का है समेटे हुए
सोचता हूं, ये बोन्साई सीमित नहीं अपनी असीमित संभावनाओं पर अवश्य सोचता है
मगर सोचना ही सोचना है इस बेचारे का
बड़ा होने को कुछ कर नहीं पाता
बढ़ोतरी, बढ़वार रूकने पर बेहद निरूपाय
कोई सवतंत्रता नहीं
जैसे बांध दिए गए हों चोर डाकुओं की तरह
सजायाफ्तो सरीखा महसूस करना भी
ये लघुता, सीमितता देती होगी न बोन्साई पौधे को बड़ी पीड़ा, रह रह कर उठने वाली टीस भी
थोड़ा गहरे में ही मेरे साथ पैठिए बना दी जाती है आम आदमी की खुशहाली बोन्साई
बोन्साई कलाकार भी किसिम किसिम के
अच्छे खासे इंसानों को
हंसते खेलते मासूम बच्चों को बोनसाई बना डालने वाले जालिमों की बात की जाए
दबंगों , बलशालियों में पुख्ता व्यवस्था को भी बोन्साई बनाने के बड़े गुण हैं
जिसको आप लोकतंत्र कहते हैं वह भी इन बोन्साईबाजो से आज त्रस्त है
असीमित अधिकारो , सुविधाओ वाली शाखाएं, जब मन हुआ तब काट दी जाती है
आप बस खुश होकर देखते रहिए बोन्साई