खुश रहे वो हर पल ज़िन्दगी में
खुश रहे वो हर पल ज़िन्दगी में
लब मेरे आज भी उसे दुआ देते है
गम हो उसको जिंदगी में कोई भी
मोती मेरी आँखों में सजा देते है
दर्द है इश्क में वाकिफ हूँ इस बात से
वो नाजाने हमे कैसी सजा देते है
रूठ कर चले जाते है वो हमसे
तन्हाई की आग में खुद को जला देते है
तडपते है आब की प्यास में
आब की तलाश में और भटका देते है
बेवफ़ा कहते है खुद को
वफाई की सदा हमे सज़ा देते है
हिजाब है चेहरे पर आज फिर
तस्वुर के लिए आज भी हमे तरसा देते है
बंद आँखों में भी हमेशा ही
भूपेंद्र को नींदों से जगा देते है
भूपेंद्र रावत
8/09/2017