खुश रहा करो तुम … सिद
खुश रहा करो…
पत्थरों पे फूल उगाया करो
तलाश सेहरा में दरिया करो
अमरबेल हो तुम, हर बार
किसी भीत से लिपटी हुई
जंजीरों में सिमटी हुई
जंजीरे मत खनकाया करो
जरा खुल के मुस्काया करो
पंछियों से सीखो न तुम प्रीत की रीत
मछलियों की तरह ही मर जाया करो
अमरबेल हो तुम, भीत पे प्रीत लुटाया करो
अपनी जंजीरें न तुम खनकाया करो
भीत पे प्रीत के फूल उगाया करो
भीत के शूलों से न घबराया करो
खुश रहा करो तुम … सिद
सिद्धार्थ