खुश्बू-ए-गुल को हवाओं से मिल जाने दे
खुश्बू-ए-गुल को हवाओं से मिल जाने दे
रम जाने दे ज़रा सा और रम जाने दे
दुनियाँ से ले जाएगा ये रोग इश्क़ का
लग जाने दे ज़रा सा और लग जाने दे
लगेंगी गोलियाँ निशाने पे दुश्मन का सर
उठ जाने दे ज़रा सा और उठ जाने दे
फिर सोचेंगे हम भी जानां मंज़िल की बात
रुक जाने दे ज़रा सा और रुक जाने दे
जीते हैं तेरे लिए मर-मर के ज़िंदगी
मर जाने दे ज़रा सा और मर जाने दे
चले जाना मगर गुज़ारिश है राग दिल का
थम जाने दे ज़रा सा और थम जाने दे
बज़्म -ए-शब में उसकी यादों का दीया ‘सरु’
जल जाने दे ज़रा सा और जल जाने दे