खुश्किस्मत ऐसा भी
कुछ दिनों पहले
की है बात
दुर्घटना हुई
दोस्त के साथ
बाइक चलाते-चलाते
कार से टकरा गया
बाइक तो टूटी फूटी ही,
खुद भी लपेटे में आ गया
डॉक्टर ने हाथ पर
प्लास्टर चढ़ाया
एहतियात बरतने को
बोल मोटा बिल बनाया
फिर लगा
आने वालों का तांता
क्या हुआ, कैसे हुआ
वो सुनते, मित्र सुनाता
हर आगंतुक
सहानुभूति जताता
कितना भाग्यशाली है,
खुलासे से बतलाता
गनीमत है कि बायां
हाथ हुआ चोटिल
दायां होता तो
होती बड़ी मुश्किल
शुक्र है सर के
बल नहीं गिरा
और चेहरे का
भूगोल नहीं बिगड़ा
चलो अच्छा है
सुनसान जगह गिरे
वरना आती जाती गाडियों
में पैर भी जाते धरे
कितना बढ़िया है
कि कार से जा टकराए
बुरे वक्त में तो आदमी
ट्रक से भिड़ आए
अंतिम वाक्य था
सबका समान
अच्छा चलते है
रखना ध्यान
सारे मामले से
मित्र ने बात समझ ली
उसके जैसा नहीं है
कोई भी भाग्यशाली