खुशी ( Happiness)
खुशी-क्या है ?
वो जो हमे दूसरों से मिलती है ?
या वो जो हमे अपनो से मिलती है ?
या वो जो हमारे द्वारा दुसरो को दी जाती है ?
या वो जो हमसे दूसरों को होती है ?
आइये विचार करते हैं—–
खुशी ( (Happiness)-खुशी हमारे लिए एक आत्मप्रिय चेतना या एहसास है जो हमें इच्छानुरूप बातों से,आत्मप्रिय प्रेम या लगाव से,वांछित परिणामों से और अनुकूल वातावरण व परिवेश से मिलती है
खुशी जो हमे दूसरों से मिलती है वो सही मायनों में क्षणिक खुशी होती है जो कुछ पल के लिए,या कुछ घंटों के लिए या कुछ दिनों के लिए होती है क्योंकि ये दूसरों पे आश्रित खुशी है।
जो खुशी हमे अपनो से मिलती है वो खुशी भी हमारे जीवन के किसी पल या किसी क्षण का हिस्सा ही है क्योंकि जैसे जैसे अपनो का साथ छूटता जाता है या अपनो से दूरी होने लगती है वैसे वैसे खुशी के हर लम्हे कमजोर ,कम व दुख में बदलने लगते हैं।
जो खुशी हमारे द्वारा दुसरो को दी जाती है ,किसी प्रकार की मदद से या किसी प्रकार की बात या विचारों से वो भी हमारे जीवन में खुशी आने का एक माध्यम है लेकिन इसमें एक विरोधभास,शंसय ये है कि हमारे द्वारा खुशी दुसरो को दी जाती है जो कि हमे खुसी प्रदान करता है ,जबकि वास्तव में इसका मतलब यह है कि हम अपनी खुशी के लिए ही दूसरों की कठिन समय में मदद करते हैं ,चाहे वो किसी प्रकार की हो सामाजिक आर्थिक,या मानसिक ,क्योकि किसी की मदद करना सामने वाले के लिए क्षणिक खुशी ही होती है जो उसके कठिन समय को आसान कर देता है लेकिन जो उसके कठिन समय को आश्रय देने का सौभाग्य नियति या ईश्वर द्वारा हमे प्राप्त होता है ,वो हमें जीवन भर की खुशी देता है।अर्थात वो खुशी जो हमसे(ना कि हमारे द्वारा ) दुसरो को मिलती है वही हमारे लिए जीवन भर की खुशी होती है।
अर्थात यदि हमे जीवन भर नियति/दैवीय कृपा द्वारा किसी दुखी, लाचार ,निसहाय,असमर्थ ,दिनहींन,की मदद करने का अवसर मिलता रहे तो हम खुद अनुभव करेंगे कि इससे जो हमे जो आत्मिक और शास्वत खुशी मिलती है वो किसी और चीज से नही मिलती।