खुशी या नाराजगी __गजल
खुशी या नाराजगी के भी कई कारण होते हैं।
बिन कारण के यहां कहां कोई हंसते या रोते हैं।।
जागना और सोना जीवन के अभिन्न अंग है यारों,
होता है समय जागने का, नींद आने पर सोते हैं।।
अकारण ही चोट लग जाती है जिंदगी में कई दफा।
मित्रों ऐसी चोटों के घाव बहुत ही गहरे होते हैं।।
बहुत कुछ पाया जा सकता है मेहनत से जिंदगी में।
लोग आराम में ही सुनहरे पल काहे को खोते हैं।।
टेढ़ी-मेढ़ी बहती नदी सी जिंदगी है जमाने में सबकी।
बड़ी मुश्किल से मिलता घाट खाने पड़ते कई गोते हैं।।
प्रेम भाईचारे की फ़सल उगा लो दिल की बगिया में।
“अनुनय” के विचार तो हमेशा ऐसे ही बीज बोते हैं।।
राजेश व्यास अनुनय