खुशी मिलें कि मिलें ग़म मुझे मलाल नही
ग़ज़ल (बह्र-मुजतस मुशम्मन मख़बून महज़ूफ)
खुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नही।
ये फैसले है मेरे रब के तो सवाल नही।।
हवाए भी हो मुख़ालिफ रवानी में मौज़े।
करें वो ग़र्क सफ़ीना ये तो मजाल नही।।
गुजार लेना गॅवारा मुझे है फ़ाॅके से।
नही वो रिज़्क है मंजूर जो हलाल नही।।
यकीं मुझे है मुकम्मल मेरा सफ़र होगा।
दिखा ही देगा वो जुगनू अगर मशाल नही।।
मैं रोशनी भी लुटाऊॅगा देख लेना तुम।
अभी उरूज है मेरा कोई ज़वाल नही।।
नही अनीश की तारीफ तुम करो यारो।
वही बनाता है बिगड़ी मेरा कमाल नही।
Anish shah