खुशी तो तेरे पास रे
मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे
मैं तो तेरे पास रे
आस पास मैं फैली तेरे
काहे भया उदास रे।।
कल आयी थी मैं घर तेरे
बारिश बन कर बरसी थी
मुझे निहारा ना अँखियों ने
बस छतरी को तरसी थीं।।
फूलों और चिड़ियों में छुप कर
तेरे आंगन चहकी हूँ
आ महसूस मुझे कर ,पगले!
खुशबू बन कर बहकी हूँ।।
ढूंढ मुझे मां की आंखों में
बिटिया की मुस्कान में
गाड़ी बंगले में न मिलूंगी
ढूंढो भले जहान में।।
दुनिया के भौतिक सुखों में
मेरा नहीं ठिकाना है।
कदम कदम पर तुझसे मिलती
बस ,तूने न पहचाना है।।
आ बढ़ मुझको गले लगा ले
बिकती न बाज़ारों में
दूर कहाँ ! मुझको तुम पा लो
अपने ही इन यारों में।।
*** धीरजा शर्मा***