खुशी की तलाश
अखबार की सुर्खियो मे
खोजती है सुबह-सुबह
यह आंखे
खुश हो जाने का सबब
पर भूल जाता है वो
जो मन को प्रसन्न करे
वो सुर्खिया नही बनती
हादसे, दंगे, कत्ल, घोटालो
को ही मिलती है पहले पन्ने
पर जगह
खुश रहने के उपाय
तो बताए जाते है पीछे के पन्नो मे
छोटे से कालम मे
विज्ञापनो के बीच घुंटे हुए
जैसे खुशी भी पाने के लिए
देनी जरूर हो कोई कीमत
जैसे अर्थ के बिना
अर्थहीन हो जीवन
पर वो भी बहुत जिद्दी है
खोज ही लेता है सुबह का
सकारात्मक डोज
राशी फल मे लिखा पढ़
“आज का दिन आपके लिए शुभ है”
उठ खडा होता है वो इस शुभता की तलाश मे
और शाम तक ढूंढ ही लेता है कोई कारण
कि उसके साथ आज कुछ बुरा ना होना ही
उसके लिए शुभ है
और फिर अनवरत चलती रहती है
दिन ब दिन उसकी यह तलाश
खुश होकर खुशी से मिलने की आस
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर